पित्त, अम्लता, खट्टी डकार और पेट फूलने का आयुर्वेदिक उपचार
आजकल की गलत खान-पान और जीवनशैली के कारण पेट से जुड़ी समस्याएँ आम हो गई हैं। इनमें पित्त दोष, अम्लता (एसिडिटी), खट्टी डकार और पेट फूलना (गैस) प्रमुख हैं। आयुर्वेद के अनुसार, इन समस्याओं का मुख्य कारण शरीर में पित्त का असंतुलन होता है। इस लेख में हम आपको पित्त दोष को संतुलित करने और अम्लता को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय बताएंगे।
पित्त दोष, अम्लता और पेट फूलने के लक्षण
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1. खट्टी डकार आना – पेट में बनने वाले अम्ल (एसिड) की अधिकता के कारण।
2. पेट फूलना और भारीपन – गैस बनने और भोजन का सही से न पचने के कारण।
3. छाती और गले में जलन – अधिक तीखा, तला-भुना या मसालेदार खाने से पित्त बढ़ जाता है।
4. मुंह में कड़वाहट और सूखापन – ज्यादा एसिड बनने से मुंह का स्वाद खराब हो सकता है।
5. पेट में ऐंठन और दर्द – गैस और अम्लता के कारण पेट में ऐंठन महसूस होती है।
आयुर्वेदिक कारण और उपचार
आयुर्वेद के अनुसार, पित्त दोष बढ़ने का मुख्य कारण अनुचित आहार-विहार है। इसे संतुलित करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएँ।
1. पित्त को संतुलित करने वाले घरेलू उपाय
✅ गिलोय का रस – गिलोय पित्त को शांत करता है और एसिडिटी से राहत दिलाता है।
✅ आंवला – यह शरीर को ठंडा रखता है और पेट की जलन को कम करता है।
✅ एलोवेरा जूस – सुबह खाली पेट 2 चम्मच एलोवेरा जूस पीने से पित्त दोष शांत होता है।</ p>
✅ धनिया पानी – रातभर पानी में भिगोकर रखा हुआ धनिया पानी पीने से एसिडिटी कम होती है।
✅ सौंफ और मिश्री – खाने के बाद सौंफ और मिश्री लेने से पाचन बेहतर होता है।
2. अम्लता (एसिडिटी) को कम करने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे
✔️ ठंडा दूध – अम्लता और जलन में तुरंत राहत देता है।
✔️ जीरा पानी – गैस और अपच को दूर करता है।
✔️ मुलेठी पाउडर – 1 चम्मच मुलेठी पाउडर को शहद के साथ लेने से अम्लता ठीक होती है।
✔️ बेल का शरबत – पेट को ठंडा करता है और अम्लता को खत्म करता है।
3. खट्टी डकार रोकने के लिए आयुर्वेदिक उपचार
➡️ हरीतकी (हरड़) का चूर्ण – यह पाचन को सुधारता है और डकारों को कम करता है।
➡️ त्रिफला चूर्ण – रोज रात को त्रिफला चूर्ण लेने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
➡️ अदरक और शहद – अदरक का रस और शहद मिलाकर लेने से डकार की समस्या कम होती है।
➡️ नारियल पानी – यह शरीर को क्षारीय बनाता है और पेट की जलन को शांत करता है।</ p>
4. पेट फूलने और गैस से बचने के आयुर्वेदिक उपाय
🔹 हींग और अजवाइन – हींग और अजवाइन को गुनगुने पानी के साथ लेने से गैस नहीं बनती।
🔹 त्रिफला पाउडर – रात को गर्म पानी के साथ लेने से पेट साफ रहता है और गैस नहीं बनती।
🔹 छाछ और काला नमक – छाछ में थोड़ा सा काला नमक मिलाकर पीने से पेट फूलने की समस्या दूर होती है।
🔹 मेथी दाने का पानी – रातभर भिगोकर सुबह मेथी पानी पीने से पेट में गैस नहीं बनती।
पित्त और एसिडिटी को कम करने के लिए आयुर्वेदिक आहार
☑ क्या खाना चाहिए?
✔️ हरी पत्तेदार सब्जियाँ (पालक, लौकी, तोरई)
✔️ नारियल पानी और छाछ
✔️ केला, पपीता, तरबूज
✔️ दलिया, मूंग दाल, चावल
✔️ ठंडी तासीर वाले खाद्य पदार्थ (आंवला, बेल, सौंफ)
❌ क्या नहीं खाना चाहिए?
❌ मिर्च-मसालेदार और तला-भुना भोजन
❌ चाय, कॉफी और अल्कोहल
❌ अधिक तेल और घी वाले खाद्य पदार्थ
❌ ज्यादा खट्टे फल (नींबू, संतरा, टमाटर)
❌ ज्यादा नमक और चीनी
योग और घरेलू दिनचर्या से राहत पाएं
✅ योगासन और प्राणायाम
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वज्रासन – खाना खाने के बाद 5-10 मिनट बैठें।
पवनमुक्तासन – पेट की गैस और सूजन कम करने में मदद करता है।
भुजंगासन – पाचन को सुधारता है और एसिडिटी से राहत देता है।
अनुलोम-विलोम और कपालभाति प्राणायाम – पेट की समस्याओं को दूर करता है।
✅ सही दिनचर्या अपनाएँ
✔️ रोज सुबह गुनगुना पानी पिएं।
✔️ रात का भोजन हल्का और जल्दी करें।
✔️ एक साथ बहुत ज्यादा न खाएँ, छोटे-छोटे भोजन करें।
✔️ तनाव को कम करें, क्योंकि चिंता भी पित्त बढ़ाती है।
✔️ खाने के तुरंत बाद लेटने से बचें।
निष्कर्ष
अम्लता, खट्टी डकार और पेट फूलने जैसी समस्याओं का मुख्य कारण पित्त दोष होता है। आयुर्वेद में इसे संतुलित करने के लिए सही आहार, घरेलू उपचार और योग का महत्व बताया गया है। यदि आप इन उपायों को अपनाएँगे, तो निश्चित रूप से आपको राहत मिलेगी और आपका पाचन तंत्र मजबूत होगा।
अगर समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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