हृदय विकार (हार्ट अटैक) के लिए आयुर्वेदिक उपाय और औषधियाँ
हृदय विकार (हृदय रोग) और हार्ट अटैक आजकल बहुत आम हो गए हैं। अनियमित जीवनशैली, गलत खान-पान, तनाव और व्यायाम की कमी के कारण हृदय संबंधित समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। आयुर्वेद में हृदय को स्वस्थ रखने के लिए कई प्राकृतिक उपाय और औषधियाँ बताई गई हैं, जो न केवल हृदय रोगों को रोकने में मदद करती हैं बल्कि हृदय को मजबूती भी प्रदान करती हैं। इस लेख में हम हार्ट अटैक से बचाव और हृदय को स्वस्थ रखने के आयुर्वेदिक उपायों और औषधियों के बारे में जानेंगे।---
हार्ट अटैक के कारण
1. असंतुलित आहार – अधिक वसा, तले-भुने और जंक फूड का सेवन
2. तनाव और चिंता – मानसिक तनाव और चिंता से रक्तचाप बढ़ता है, जिससे हृदय पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
3. शारीरिक निष्क्रियता – नियमित व्यायाम न करने से रक्त प्रवाह सही नहीं रहता और हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
4. धूम्रपान और शराब – ये दोनों हृदय की धमनियों को संकुचित कर देते हैं, जिससे रक्त संचार बाधित होता है।
5. मधुमेह और उच्च रक्तचाप – यह हृदय रोगों का प्रमुख कारण हो सकता है।
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आयुर्वेदिक उपाय हार्ट अटैक से बचाव के लिए
1. पंचकर्म चिकित्सा
आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर रक्त संचार को बेहतर बनाती है। विशेष रूप से बस्ती, विरेचन और रक्तमोक्षण हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।
2. योग और प्राणायाम
नियमित योग और प्राणायाम हृदय रोगों को रोकने में बहुत प्रभावी हैं।
अनुलोम-विलोम – रक्त संचार को सुधारता है और तनाव कम करता है।
भस्त्रिका प्राणायाम – फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और हृदय को मजबूत करता है।
सूर्य नमस्कार – संपूर्ण शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और हृदय को मजबूत बनाता है।
3. हृदय के लिए विशेष आहार
लहसुन – यह रक्तचाप को नियंत्रित करता है और धमनियों को स्वस्थ रखता है।
मेथी के दाने – यह कोलेस्ट्रॉल कम करता है और हृदय को मजबूत बनाता है।
आंवला – यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है और हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
अलसी के बीज – इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो हृदय के लिए बहुत लाभकारी होता है।
गिलोय और अर्जुन की छाल – ये दोनों हृदय को मजबूती प्रदान करते हैं और रक्त संचार को सुचारू रखते हैं।
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हार्ट अटैक के लिए आयुर्वेदिक औषधियाँ
1. अर्जुन की छाल
अर्जुन वृक्ष की छाल हृदय के लिए रामबाण मानी जाती है। यह रक्तचाप को नियंत्रित करती है और धमनियों को मजबूत बनाती है।
सेवन विधि:
1 गिलास पानी में 1 चम्मच अर्जुन की छाल उबालकर सुबह-शाम पी सकते हैं।
अर्जुन की छाल का चूर्ण शहद के साथ लेने से भी हृदय को लाभ होता है।
2. अश्वगंधा
यह तनाव को कम करता है और हृदय को ऊर्जा प्रदान करता है।
सेवन विधि:
अश्वगंधा चूर्ण को दूध के साथ रात में लेने से हृदय को लाभ होता है।
3. गिलोय
गिलोय रक्त को शुद्ध करता है और हृदय की धमनियों को मजबूत बनाता है।
सेवन विधि:
गिलोय का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पी सकते हैं।
4. ब्राह्मी और शंखपुष्पी
ये दोनों औषधियाँ मानसिक तनाव को कम करती हैं, जिससे हृदय पर दबाव कम पड़ता है।
सेवन विधि:
ब्राह्मी और शंखपुष्पी को मिलाकर चूर्ण बना लें और दिन में दो बार लें।
5. त्रिफला चूर्ण
यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और शरीर में टॉक्सिन को बाहर निकालता है, जिससे हृदय की कार्यक्षमता बनी रहती है।
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जीवनशैली में परिवर्तन
1. नियमित व्यायाम करें – सुबह 30 मिनट की सैर और हल्के योगासन करें।
2. धूम्रपान और शराब का सेवन न करें – ये हृदय के लिए बहुत हानिकारक हैं।
3. तनाव को नियंत्रित करें – ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें।
4. पर्याप्त नींद लें – कम से कम 7-8 घंटे की नींद लें।
5. संतुलित आहार लें – हरी सब्जियाँ, फल, नट्स और कम वसा वाला भोजन करें।
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निष्कर्ष
हृदय को स्वस्थ रखना हमारे हाथ में है। यदि हम आयुर्वेदिक उपायों को अपनाएँ, संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें, तो हृदय रोगों से बचा जा सकता है। अर्जुन की छाल, गिलोय, ब्राह्मी और अश्वगंधा जैसी आयुर्वेदिक औषधियाँ हृदय को मजबूती प्रदान करती हैं। साथ ही, योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है।
स्वस्थ हृदय के लिए प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपायों को अपनाएँ और लंबी, सुखद व स्वस्थ जीवन यात्रा का आनंद लें।< br />x
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