Ticker

Ad Code

Responsive Advertisement

पीलिया और लिवर फेल्योर: लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार

 पीलिया और लिवर फेल्योर: लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार


परिचय

पीलिया (Jaundice) और लिवर फेल्योर (Liver Failure) गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं, जो मुख्य रूप से यकृत (लिवर) की कार्यक्षमता में गड़बड़ी के कारण होती हैं। आयुर्वेद में, यकृत को "यकृत धातु" के रूप में जाना जाता है, और इसे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है, जो पाचन, रक्त शुद्धि और विषहरण (detoxification) में मदद करता है। यदि समय रहते पीलिया का उपचार न किया जाए, तो यह लिवर फेल्योर का कारण बन सकता है। इस लेख में हम पीलिया और लिवर फेल्योर के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचारों पर विस्तृत जानकारी देंगे।



---


पीलिया क्या है?


पीलिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में बिलीरुबिन (Bilirubin) नामक पदार्थ की अधिकता हो जाती है, जिससे त्वचा, आँखें और नाखून पीले पड़ जाते हैं। यह समस्या आमतौर पर लिवर, पित्ताशय और रक्त की गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होती है।


</ p>

पीलिया के प्रमुख कारण


1. लिवर संक्रमण – हेपेटाइटिस (A, B, C, D, E) वायरस



2. पित्त नली में रुकावट – पित्ताशय की पथरी (Gallstones)



3. शराब का अधिक सेवन – लिवर सिरोसिस



4. रक्त विकार – थैलेसीमिया, हीमोलिटिक एनीमिया



5. अन्य कारण – जहर, औषधियों का दुष्प्रभाव, टाइफाइड




पीलिया के लक्षण


त्वचा और आँखों का पीला पड़ना


भूख न लगना


कमजोरी और थकावट


गहरे रंग का मूत्र (डार्क यूरिन)


हल्के रंग का मल


पेट दर्द और सूजन


जी मिचलाना और उल्टी




---


लिवर फेल्योर क्या है?


लिवर फेल्योर तब होता है जब लिवर अपनी कार्यक्षमता खो देता है और विषैले तत्वों को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता। यह समस्या अचानक (acute) या धीरे-धीरे (chronic) हो सकती है।


लिवर फेल्योर के कारण


1. हेपेटाइटिस संक्रमण (B, C वायरस)



2. शराब और धूम्रपान का अधिक सेवन



3. फैटी लिवर डिजीज (ज्यादा वसा जमने से)



4. दवाओं का अधिक सेवन (पेनकिलर, स्टेरॉयड)



5. ऑटोइम्यून रोग (Autoimmune Disorders)




लिवर फेल्योर के लक्षण


पीलिया के लक्षणों के साथ-साथ


पेट में गंभीर सूजन और दर्द


मानसिक भ्रम (Confusion)


शरीर में पानी भरना (Ascites)


रक्तस्राव की समस्या


साँस लेने में तकलीफ




---


आयुर्वेदिक उपचार</ p>


1. जड़ी-बूटियों द्वारा उपचार


(क) भूमि आंवला (Phyllanthus Niruri)


लिवर की रक्षा करता है और विषैले तत्वों को निकालता है।


भूमि आंवला का रस सुबह खाली पेट पीने से लाभ होता है।



(ख) गिलोय (Tinospora Cordifolia)


लिवर एंजाइम्स को संतुलित करता है।


गिलोय का काढ़ा या कैप्सूल का सेवन करें।



(ग) भृंगराज (Eclipta Alba)


लिवर को पुनर्जीवित करता है और फाइब्रोसिस को रोकता है।


भृंगराज का रस या पाउडर शहद के साथ लें।



(घ) पुनर्नवा (Boerhavia Diffusa)


लिवर डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है।


पुनर्नवा चूर्ण को पानी के साथ लें।



2. आयुर्वेदिक योग और घरेलू उपाय


1. एलोवेरा जूस – लिवर को साफ करने में सहायक।



2. नीम और तुलसी का रस – प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।



3. लहसुन और अदरक – प्राकृतिक एंटीबायोटिक।



4. हल्दी का दूध – सूजन और संक्रमण से बचाव करता है।




3. पंचकर्म थेरेपी


वमन (Vomiting Therapy) – शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने के लिए।


विरेचन (Purgation Therapy) – पाचन सुधारने के लिए।


बस्ती (Enema Therapy) – शरीर को संतुलित करने के लिए।




---


आयुर्वेदिक आहार और परहेज


क्या खाना चाहिए?


✔ गाजर, चुकंदर, पपीता और हरी पत्तेदार सब्जियाँ

✔ नारियल पानी और ताजे फलों का रस

✔ छाछ और नींबू पानी

✔ हल्दी, जीरा और धनिया युक्त भोजन</ p>


क्या नहीं खाना चाहिए?


✖ तली-भुनी और मसालेदार चीजें

✖ शराब और धूम्रपान

✖ पैकेज्ड फूड और अधिक नमक

✖ कैफीन और कोल्ड ड्रिंक्स



---


योग और प्राणायाम


1. भुजंगासन – लिवर के कार्य को सुधारता है।



2. मंडूकासन – पेट और लिवर की सफाई करता है।



3. कपालभाति प्राणायाम – लिवर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है।





---


निष्कर्ष


पीलिया और लिवर फेल्योर गंभीर बीमारियाँ हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। यदि लक्षण गंभीर हों, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें और उचित इलाज कराएँ। नियमित योग, प्राणायाम और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकता है।</ p>


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ